वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:- उत्तर प्रदेश में सपा-प्रसपा का विलय तो हो गया है, लेकिन कार्यकर्ताओं के दिल नहीं मिले हैं। कानपुर में एक कार्यक्रम के दौरान ही अखिलेश व शिवपाल यादव के सामने पार्टी के कार्यकर्ता बंटे दिखे
शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) का विलय समाजवादी पार्टी में जरूर हो गया, लेकिन अभी राष्ट्रीय अध्यक्ष को छोड़कर बाकी पदाधिकारियों के आपस में दिल नहीं मिल पाए हैं। एक दिन पहले शहर आए सपा प्रमुख अखिलेश यादव और शिवपाल यादव से मिलने पहुंचे लोगों में यह मनमुटाव नजर भी आया।
कानपुर महानगर, ग्रामीण और देहात इकाई की बात करें तो यहां पर सपा ने तीन दिन पहले ही नए जिलाध्यक्ष मनोनीत किए हैं। चर्चा थी कि महानगर और ग्रामीण में किसी एक इकाई में सपा के पुराने कार्यकर्ता को और दूसरी इकाई में प्रसपा के किसी वरिष्ठ पदाधिकारी को जिम्मेदारी दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
दोनों पार्टियों के विलय से पहले अकेले प्रसपा की महानगर इकाई में कार्यकारिणी की संख्या 90 से अधिक थी। 72 पदाधिकारी मुख्य इकाई में बाकी फ्रंटल इकाई में रखे गए थे। यही स्थिति ग्रामीण इकाई में भी रही है। अब ये सभी पदाधिकारी असमंजस में हैं।
अखिलेश ने प्रसपा के जिलाध्यक्ष को बुलाया
एक दिन पहले लाजपत भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव को इस बात की भनक लगी, तो उन्होंने बिना देरी किए प्रसपा के महानगर जिलाध्यक्ष रहे आशीष चौबे को मंच पर बुलाकर कार्यकर्ताओं के अंदर चल रहे असमंजस को दूर करने और लखनऊ आकर मिलने को कहा।
प्रसपा के कार्यकर्ताओं को मिल सकती है नई जिम्मेदारी
इस दौरान मंच पर शिवपाल यादव भी मौजूद थे। दरअसल आने वाले दिनों में नगर निकाय और लोकसभा चुनाव भी है, ऐसे में कहा जा रहा है कि जल्द ही प्रसपा से सपा में आए वरिष्ठ और सक्रिय कार्यकर्ताओं को नई जिम्मेदारी दी जा सकती है। अब देखना ये होगा कि दोनों पार्टियों कैसे अपने कार्यकर्ताओं में तालमेल बैठा पाती हैं।